अंजलि यादव,
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया,
नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति
चुनाव में राष्ट्रपति एवं
रिपब्लिकन पार्टी उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बाइडन के
बीच कड़ा मुकाबला चल रहा है और दुनिया बड़ी बेसब्री से नतीजों का इंतजार कर रही है. लेकिन इस बीच चीन के लिए मुसीबत बढ़ गई है.
बाइडन लगभग जीत की तरफ बढ़े
दरअसल, चुनाव प्रचार के दौरान राष्ट्रपति डोनाल्ड
ट्रंप ने कोरोना वायरस, ताइवान और भारत को लेकर चीन पर कड़ा प्रहार किया था. ट्रंप ने कोरोना को चाइना वायरस तक कह दिया था. अब जब बाइडन लगभग जीत की तरफ बढ़ रहे हैं तब
जानकारों का कहना है कि जो बाइडन की जीत भी चीनी ड्रैगन की टेंशन बढ़ने वाली है.
विशेषज्ञों का
मानना है कि अमेरिका में जीत किसी की भी हो लेकिन जो भी सत्ता में आएगा वो
विस्तांरवादी नीति अपनाने में लगे चीन के खिलाफ कठोर कदम ही उठाएगा. इस बारे में चीनी मामलों के अमेरिकी विशेषज्ञ
मरिऑन स्मिथ ने साफ किया कि आज अमेरिका के लिए सुरक्षा, आर्थिक और मूल्यों के लिहाज से चीन सबसे बड़ा खतरा है और इसके लिए
प्रशासन कड़े फैसले लेगा.
स्मिथ ने कहा कि
बाइडेन और चीन के बीच अच्छी बातचीत रही
है. साल 2013 में चीनी
राष्ट्रेपति शी जिनपिंग ने जो बाइडेन को अपना पुराना मित्र बताया था. इसके बाद भी अब जब वो राष्ट्रपति बनने जा रहे
हैं तब वो चीन के खिलाफ कड़ा रूख अपना सकते हैं.
उन्होंने कहा जो बाइडन की नीतियां चीन के खिलाफ वैसी ही हैं जैसी ट्रंप की रही हैं. बाइडन पहले ही कह चुके हैं कि वो ची पर आर्थिक दबाव बना कर रखेंगे. बाइडन ने ऐलान किया था कि चीन के खिलाफ अभियान में ट्रंप से भी ज्या दा बढ़ावा देंगे. मानवाधिकारों के उल्लंबघन के मुद्दे पर जो बाइडन ने चीन की कड़ी आलोचना की है. बाइडन ने चीन के उइगर मुसलमानों पर अत्याेचार को 'नरसंहार' बताया था.
वहीँ, चुनाव प्रचार के दौरान जो बाइडन ने अमेरिका का
सबसे बड़ा प्रतिद्वंदी चीन को ही बताया था. उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि
सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी चीन है. और इस बात पर निर्भर करता है कि हम कैसे संभालते हैं. यह निर्धारित करेगा कि हम प्रतियोगी हैं या हम
ताकत का प्रयोग करने वाले अधिक गंभीर प्रतियोगी हैं.' इतना ही नहीं जो बाइडन ने चीन के साथ-साथ रूस को अमेरिकी सुरक्षा के लिए सबसे
बड़ा खतरा बताया था.
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